विजयदशमी का पावन पर्व
विजयदशमी का ये पावन पर्व करता हम सबको फिर एक बार सजग,
करना है सम्मान ना करना है अपमान
करना है उसकी मर्यादा की रक्षा ना डिगने देना है उसका स्वाभिमान
यदि उठेगा उसके स्वाभिमान पर प्रश्न या चरित्र पर कोई आरोप लगाएगा।
तो वो फिर लेगी अवतार बन शक्ति का आकार कर देगी वो संहार,
श्री राम का धनुष भी देगा साथ और श्री कृष्ण का सुदर्शन बन जाएगा ढाल,
इस कलयुग में ना रावण है ना दुर्योधन ना ही है महिषासुर,
पर उन सबकी सोच का साया है जो कलयुग में समाया है,
हम सबको इस सोच का वध ही करना है,
उस देवी को उसका असली सम्मान ही अर्पण करना है।।
सानिध्य पस्तोर
विजयदशमी का ये पावन पर्व करता हम सबको फिर एक बार सजग,
करना है सम्मान ना करना है अपमान
करना है उसकी मर्यादा की रक्षा ना डिगने देना है उसका स्वाभिमान
यदि उठेगा उसके स्वाभिमान पर प्रश्न या चरित्र पर कोई आरोप लगाएगा।
तो वो फिर लेगी अवतार बन शक्ति का आकार कर देगी वो संहार,
श्री राम का धनुष भी देगा साथ और श्री कृष्ण का सुदर्शन बन जाएगा ढाल,
इस कलयुग में ना रावण है ना दुर्योधन ना ही है महिषासुर,
पर उन सबकी सोच का साया है जो कलयुग में समाया है,
हम सबको इस सोच का वध ही करना है,
उस देवी को उसका असली सम्मान ही अर्पण करना है।।
सानिध्य पस्तोर
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